मेरे लिए तो पितातुल्य शख्सियत का चले जाना है : विनय तिवारी

Tributes - 29 May 2020

योगेश जी का ना रहना मेरे लिए तो पितातुल्य शख्सियत का हमारे बीच से चले जाना है. योगेश जी का और हमारा यानी निखिल - विनय का बहुत पुराना साथ रहा. हमलोगों ने म्यूजिक शुरू किया था तभी एक अघोषित सा निर्णय ले लिया था कि गीत तो योगेश जी ही लिखेंगे और इस पर कोई विचार नहीं होगा. 
'इंग्लिश बाबू देसी मैम' हो या फिर 'चोर और चांद' हो गया कि 'बेवफा सनम' हो सारी फिल्मों में हमारे लिए योगेश जी ही लिखते रहे और क्या खूब लिखा उन्होंने. मुझे वो वीनू बोला करते थे और मुझे याद है उनका लगाव. बहुत ही सादगी के साथ बहुत ही सरलता के साथ कभी भी नाराज होते उन्हें नहीं देखा, गुस्से में नहीं देखा.  हम बोलते थे कि योगेश दा  ये शब्द बदलना होगा मीटर में नहीं बैठ रहा है या हमारे अंदाज़ में नहीं आ रहा है तो कभी भी बिना किसी बहस के कहते ठीक है पांच मिनट दीजिए और बस! बहुत ही तन्मयता के साथ लिखा करते थे बड़े सुकून के साथ लिखा करते थे लिखना उनका पैशन था और माशाल्लाह क्या लिखा है उन्होंने बर्मन दा के लिए उनका आखिरी गीत हो या सलिल दा के लिए लिखे गीतों की बात कर लें हम या हमारे ही गीतों की बात करें, बहुत सुंदर लिखा करते थे और मुझे लगता है कि वो उतने ही सरल इंसान थे सादगी पसंद इन्सान थे. बहुत ही विनम्रता से मिलते थे और हमारे बीच में उम्र का कोई फासला ही नहीं रह जाता था. उन्होंने 'वर्क इज़ वरशिप' इसी सिद्धांत पर काम किया और बहुत ही तरीके से लिखा. उनके हर गीत में उनकी तन्मयता दिखाई देती थी जब भी हमने उन्हें गीत लिखने की बात की, किसी भी प्रकार से न कभी कुछ कहते थे वे और हर हाल में संतुष्ट हो जाते थे. इतने विद्वान इतने बड़े गीतकार लेकिन उनकी सादगी दिल जीत लेती थी.  हमें उनसे ये बहुत बड़ा सबक सीखना चाहिये, मेरा दुर्भाग्य की आखिरी समय में उनसे मुलाक़ात नहीं कर सका उन्हें आखिरी बिदाई नहीं दे सका. इस लॉकडाउन में काफी दूरी रही और मैं चाह कर भी उनके अंतिम दर्शन नहीं कर सका लेकिन ताज़िन्दगी वो मेरी स्मृति में रहेंगे. योगेश जी आप बहुत याद आएंगे बहुत याद आएंगे.
 
(विनय तिवारी ने रविराज प्रणामी से अपने विचार व्यक्त किए) 

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